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सच्चा दोस्त..

प्रसिद्ध कवियत्री सलोनी चावला ने दिल से लिखी दोस्त पर मार्मिक कविता

सच्चे दोस्त तो सिर्फ किस्मत से मिलते हैं,
बदनसीबों को तो कागज के फूल ही मिलते हैं।
बड़ी उम्मीदों से लगाते हैं फेरे गुलशन के,
मगर हर मिट्टी में कहां फूल खिलते हैं।
कभी-कभी तो खुशबू भी दे जाती है धोखा,
दिखने के दांत अलग, और खाने के अलग निकलते हैं।
दोस्त तो डाली भी नहीं होती सूखे पत्तों की,
कब-कहां-कौन-से पौधे पर सूखे पत्ते पलते हैं!
किसका छूट जाए कब साथ जिंदगी में,
आखिरी दौर तक कहां सब साथ चलते हैं।
जिन रिश्तों पर ज़्यादा भरोसा होता है,
वही मौका देखकर रिश्ते बदलते हैं।
जिन्हें हमकदम बनकर साथ चलना चाहिए,
वही हमारे चलते हुए कदमों से जलते हैं।
सैलाब यूं ही नहीं आ जाते जिंदगी में,
यह आते हैं, जब किनारे, समुंदर को छलते हैं।
जन्मों के अच्छे कर्मों के बाद ही,
शायद किसी को सच्चे दोस्त मिलते हैं।
रचयिता-सलोनी चावला

 

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