
पलवल में किसान आंदोलन स्थल पर मनाया विजय दिवस
देशपाल सौरोत
पलवल, 26 नवंबर। किसान संघर्ष समिति नहरपार फरीदाबाद के महासचिव सतपाल नरवत खेड़ी कलां ने कहा है कि अन्नदाताओं ने अपनी तपस्या से ऐतिहासिक आंदोलन को शिखर तक पहुंचाया है जो वास्तव में लोकतंत्र की जीत है। यह जीत किसी के अहंकार व घमंड की जीत नहीं है बल्कि लाखों उपेक्षित व हाशिए पर पड़े भारतीयों के जीवन और आजीविका की बात है। किसान को सडक़ों पर बैठने का कोई शौक नहीं है वह भी जल्द से जल्द अपने घर लौट जाना चाहता है जिससे वह अपने घर परिवार व खेतीबाड़ी को संभाल सके। वरिष्ठ किसान नेता सतपाल नरवत शुक्रवार को पलवल के केजीपी-केएमपी चौक पर चल रहे किसान आंदोलन स्थल पर बैठे किसानों को संबोधित कर रहे थे। वह आज सैकडों की तादाद में किसानों ने साथ पलवल धरने पर समर्थन देने पहुंचे थे। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को दिल्ली चलो किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने व तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा से उत्साहित किसानों ने आंशिक विजय दिवस मनाया।
पूर्व मंत्री करण दलाल, पूर्व विधायक उदयभान व सकसं के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा भी पहुंचे किसानों को समर्थन देने
इस मौके पर अनेकों वरिष्ठ किसान नेताओं के अलावा हरियाणा के पूर्व कृषि मंत्री करण सिंह दलाल व पूर्व विधायक उदयभान भी मुख्यरूप से पहुंचे। वहीं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व मजदूर संगठन सीआईटीयू के बेनर तले शुक्रवार को विभिन्न विभागों के कर्मचारियों व आशा, आंगनबाड़ी व मीड डे मील वर्करों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी कर्मचारी व स्कीम वर्कर गुर्जर धर्मशाला में एकत्रित हुए और वहां से केन्द्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अटोहा मोड़ तक जुलूस निकाला और किसानों के धरने में शामिल होकर एकजुटता प्रकट की। आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा भी विशेष तौर पर कर्मचारियों एवं किसानों के बीच पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सचिव रतन सिंह सौरोत द्वारा संचालित आज के धरने की अध्यक्षता 52पालों के अध्यक्ष अरुण जेलदार ने की।
किसान संघर्ष समिति नहरपार फरीदाबाद की तरफ से किया आंदोलनकारी किसानों का क्रांतिकारी अभिनंदन
वरिष्ठ किसासन नेता एवं किसान संघर्ष समिति नहरपार फरीदाबाद के महासचिव सतपाल नरवत ने किसान संघर्ष समिति नहरपार फरीदाबाद की तरफ से आंदोलनकारी किसानों का क्रांतिकारी अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि 1 साल की कड़ी तपस्या के बाद माननीय प्रधानमंत्री जी ने माफी मांगते हुए तीनों काले का कृषि कानूनों को वापस लिया और इन किसानों को आंदोलन जीवी, परजीवी, खालिस्तानी, पाकिस्तानी, आतंकवादी, नक्सलवादी, कांग्रेसी, कामरेड, लाल झंडे वाले, राष्ट्रद्रोह आदि अनेकों नाम देने वाली सरकार ने असली किसान माना। यह संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल विभिन्न संगठनों की ओर आंदोलन को समर्थन करने वालों की लोकतांत्रिक और ऐतिहासिक जीत है, लेकिन अभी भी प्रधानमंत्री जी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने, बिजली बिल एक्ट 2021 को रद्द कराने आदि मांगों पर कोई वक्तव्य नहीं किया है। इसके साथ ही सरकार को जो किसान आंदोलन एक साल के दौरान शहीद हुए उनके परिवारों को मुआवजा देना एवं जिन हजारों किसानों पर मुकदमे दर्ज किए उनको वापस लेना चाहिए।
कौन-कौन पहुंचे आंदोलन स्थल
पलवल में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए किसान संघर्ष समिति नहरपार फरीदाबाद के किसान नेता नवल सिंह, महेंद्र सिंह, रामकिशन, किशन सिंह, मोहनलाल,जगदीशचंद्र, ऋषिपाल जांगड़ा, प्रकाशचंद आदि मुख्य रूप से सम्मिलित हुए।