
देशपाल सौरोत की खास रिर्पोट
मुम्बई/दिल्ली/फरीदाबाद/पलवल, 21 जनवरी। हरियाणा के पलवल जिला के ऐतिहासिक गांव बहीन के लडके राम रमेश शर्मा ने मुम्बई की फिल्मी दुनिया में अपनी धूम मचा दी है। आज शुक्रवार को जी-5 पर रिलीज की गई देश के जाने-माने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई द्वारा निर्मित हिन्दी फिल्म 36 फार्म हाउस के डायरेक्टर राम रमेश शर्मा ही हैं। मूल रूप से गांव बहीन निवासी राम अपने नाम के आगे सरनेम के रूप में अपने पिता रमेश शर्मा का नाम लिखते हैं। फिल्म डायरेक्टर राम रमेश शर्मा के पिता रमेश शर्मा हरियाणा सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग में एसई के पद पर कार्यरत हैं। आज शुक्रवार को जैसे ही इस फिल्म को रिलीज किया गया तो यहां जिले के लोगों में खुशी की लहर दौड गई और वह इस फिल्म को को देखने के लिए ललायित दिखे। राम रमेश शर्मा द्वारा निर्देशित यह फिल्म पूरी तरह से एक परिवारिक नाटक के रूप में लालच, वर्ग विषमता, पारिवारिक विवाद और रोमांस से भरपूर है जो कॉमेडी का भी खूब तडका देती है। लोगों को खह खूब भाएगी। यहां के लोग अपने लाडले राम रमेश शर्मा की इस बडी कामयाबी पर खूब हर्षित हो रहे हैं।
राम रमेश शर्मा को कैसे मिली फिल्मी दुनिया में कैरियर बनाने की प्रेरणा
फिल्मी दुनिया में चमकते सितारे राम रमेश शर्मा को फिल्मी दुनिया में कैरियर बनाने की प्रेरणा उनकेे पिता रमेश शर्मा के बचपन के मित्र बहीन निवासी कर्नल कंवरपाल रावत व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमलेश से मिली। रमेश शर्मा बताते हैं कि उनके पुत्र की इस कामयाबी में मेरीे मित्र कर्नल कंवरपाल रावत व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमलेश से मिली प्रेरणा का बहुत बडा हाथ है। बता दें कि वर्तमान में हरियाणा सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग में एसई के पद पर कार्यरत रमेश शर्मा व कर्नल कंवरपाल रावत दोनों मूलरूप से पलवल जिले के ऐतिहासिक गांव बहीन के निवासी हैं तथा दोनों ही बचपन से गहरे मित्र हैं। मेरे मित्र कर्नल कंवरपाल रावत व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमलेश को मेरे पुत्र राम से गहरा लगाव है और उन्होंने राम को खूब प्रेरित किया जिसका परिणाम है कि आज मेरा पुत्र राम रमेश शर्मा फिल्मी दुनिया में पलवल जिला का नाम समूचे देश में रोशन कर रहा है।
जी-5 पर रिलीज हुई है 36 फार्म हाउस
राम रमेश शर्मा द्वारा अभिनीत और एक अनुभवी फिल्म निर्माता सुभाष घई द्वारा निर्मित-लिखित, 36 फार्म हाउस कहानी के केंद्र बिंदु के रूप में फार्महाउस की विरासत के साथ जरूरत के लिए कुछ चोरी, लालच के लिए कुछ चोरी की अवधारणा पर आधारित है। पहली नजऱ में, यह एक साधारण पारिवारिक नाटक प्रतीत होता है जिसमें किसी भी भारतीय परिवार में सभी पात्र आसानी से मिल सकते हैं। सुभाष घई का ओटीटी डेब्यू सिटकॉम से लेकर मर्डर मिस्ट्री से लेकर रोमांस से लेकर फैमिली ड्रामा तक कई शैलियों का मैश-अप है, और यह लालच से लेकर वर्ग असमानता तक कई तरह की भावनाओं की पड़ताल करता है। वहीं कॉमेडी और रोमांस का भी खूब तडक़ा है। शरद त्रिपाठी संक्षिप्त और सीधे संवाद रखते हैं, वहीं संजय मिश्रा के डायलॉग आपको जोर-जोर से हंसाएंगे।
मर्डर मिस्ट्री से लेकर रोमांस, फैमिली ड्रामा व कॉमेडी से भरपूर है 36 फार्म हाउस
कुल मिलाकर 107 मिनट लंबी राम रमेश शर्मा द्वारा निर्देशित यह फिल्म लोभ, वर्ग असमानता, पारिवारिक विवाद और रोमांस पर धीरे-धीरे की गई सामाजिक भाष्य का प्रयास प्रतीत होता है। दूसरी ओर, संजय मिश्रा की विलक्षणता इसे एक हल्की और आकर्षक घड़ी बनाती है। लालच, वर्ग विषमता, पारिवारिक विवाद और रोमांस पर सुभाष घई की अविवाहित सामाजिक टिप्पणी का प्रयास प्रतीत होता है।
फिल्म समीक्षा
फिल्म ’36 फार्महाउस’ एक चिंतन है। देश भर में कोरोना फैला हुआ है। सब अपने अपने गांव भाग रहे हैं। बीच रास्ते उतार दिए एक खानसामा को रास्ते में मिली हाउसकीपर एक हवेलीनुमा बंगले में खाना बनाने के लिए ले आती है। बंगले पर जिसका राज है, उसकी मां के दो और बेटे इस बंगले में अपना हिस्सा चाहते हैं। हवेली का रसोइया खाना कम खिचड़ी ज्यादा पकाता है। उसकी एक्सरे जैसी निगाहें उसे किसी जासूस का सा चोला पहनाते चलती है। घर परिवार से विमुख हो चुका बेटा भी इसी बंगले में जब आ धमकता है तो कहानी का रास्ता बदल जाता है। खानसामा पहले ही दावा कर चुका है कि उसके बीवी बच्चे नहीं है। बेटा जिस युवती के साथ आया है, वह बंगले की मालकिन की नातिन है। फिल्म शुरू होते ही एक कत्ल हो चुका है। लाश जिस कुएं में है, उसी के पास खूब धींगामश्ती रची जाती है। सुभाष घई ने फिल्म ’36 फार्महाउस’ अपनी ही कहानी पर बनाई है। फिल्म की पटकथा में नाम मुक्ता स्टोरी लैब का। फिल्म है भी एक प्रयोगशाला जैसी है।
फिल्म के हैं निर्माता व लेखक सुभाष घई
फिल्म के डायरेक्टर हैं राम रमेश शर्मा
कौन हैं फिल्म के मुख्य कलाकार
फ्लोरा सैनी, संजय मिश्रा, अमोल पराशर, विजय राज, अश्विनी केलसकर, बरखा सिंह, लिजा सिंह व प्रदीप वाजपेयी।



फ्लोरा सैनी, संजय मिश्रा, अमोल पराशर, विजय राज, अश्विनी केलसकर, बरखा सिंह।