
देशपाल सौरोत
पलवल, 17 फरवरी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी की तानाशाही व शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 के उल्लंघन के विरोध में जिला के शिक्षकों ने बृहस्पतिवार को हथीन के विधायक प्रवीण कुमार डागर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इसपर रोक लगाने की मांग की। शिक्षकों का नेतृत्व हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ (संबद्ध सर्व कर्मचारी संघ एवं स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) के जिला प्रधान ओमप्रकाश जाखड़ कर रहे थे।
संघ के जिला सचिव थान सिंह शर्मा ने बताई खामियां
इस मौके पर संघ के जिला सचिव थान सिंह शर्मा ने विधायक को बोर्ड की मनमानी व लूट की जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा वर्तमान सत्र में कक्षा आठवीं की बोर्ड परीक्षा का निर्णय लिया है जिसके लिए बोर्ड ने स्कूल खुलते ही बोर्ड परीक्षा के लिए ऑनलाइन फार्म भरने का आदेश जारी कर दिया है जो तर्कसंगत नहीं है। बोर्ड प्रशासन द्वारा 550 प्रति छात्र(100 एनरोलमेंट फीस और 400 परीक्षा फीस) के लिए जा रहे हैं जो शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का सरासर उल्लंघन है। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से आठवीं तक की शिक्षा को निशुल्क व अनिवार्य घोषित किया गया है। संघ का मानना है कि कोरोना महामारी के कारण 2 वर्ष से विद्यालय लगभग बंद रहे हैं।बेशक ऑनलाइन मोड से शिक्षा देने का प्रयास किया गया है परंतु 80त्न से अधिक छात्र आर्थिक संकट में लैपटॉप और मोबाइल जैसे उपकरणों के अभाव में शिक्षा से वंचित रहे हैं। इसलिए इस वर्ष बोर्ड आठवीं की परीक्षा ना ले। आठवीं की परीक्षा स्कूल स्तर पर ही ली जानी चाहिए।
शिक्षा सुधार कमेटी के वरिष्ठ सदस्य ओम प्रकाश डागर व रूपकिशोर गुप्ता ने भी की मांग
शिक्षा सुधार कमेटी के वरिष्ठ सदस्य ओम प्रकाश डागर व रूपकिशोर गुप्ता ने संयुक्त रूप से मांग करते हुए बताया कि स्कूल संबद्धता के नाम पर वसूले गए 5000 हजार रुपए वापिस किए जाएं। मॉडल संस्कृति स्कूलों में दाखिला फीस व मासिक फीस भी वापिस की जाए और कानून के अनुसार निशुल्क शिक्षा दी जाए। कक्षा पहली और दूसरी को आंगनवाड़ी व प्रथम फाउंडेशन नामक एन जी ओ को देने के निर्णय को वापिस लिया जाए। छात्रों को दी जाने वाली मासिक व वार्षिक प्रोत्साहन राशि वर्तमान वर्ष और पिछले वर्षों की जारी की जाए।छात्रों को वर्दी व स्टेशनरी भी दी जाए।
शिक्षा विभाग सिर मुंडाते ही ओले पड़े वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है: देवेंद्र डागर
शिक्षक नेता देवेंद्र डागर ने बताया कि शिक्षा विभाग सिर मुंडाते ही ओले पड़े वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है।कितने दुर्भाग्य की बात है कि स्कूल खुलते ही अध्यापकों को एन जी ओ के माध्यम से एफ एल एन प्रशिक्षण शुरू कर दिया है।जबकि अध्यापकों को छात्रों के पास कक्षाओं में होना चाहिए।इस प्रशिक्षण को बंद किया जाय। अध्यापकों को प्रशिक्षण केवल डाइट्स और एस सी ई आर टी के नियमित स्टाफ से दिया जाना चाहिए। हजारों की संख्या में खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरा जाए। शिक्षा के बजट को एन जी ओ को लुटाना बंद किया जाए।