
पलवल जिला ही नहीं बल्कि हरियाणाा में महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में बनकर उभरी हैं गीता सौरोत और अगर यूं कहें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व मुख्यमंत्री मनोहरलाल के शिक्षित पंचायत के सपनों को सही मायनों में किया है साकार..
महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण को लेकर देशपाल सौरोत की विशेष रिर्पोट
पलवल, 8 मार्च। महिला दिवस पर आज हम पलवल जिले की एक ऐसी महिला से आपको रूबरू कराते हैं जो सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की मिशाल बन गई हैं। और अगर यूं कहें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व मुख्यमंत्री मनोहरलाल के शिक्षित पंचायत के सपनों को प्रदेश में साकार होते हुए देखना है तो गांव जनाचौली आना ही पडेगा। जी हां हम बात कर रहे हैं पलवल जिले के हथीन विधानसभा क्षेत्र में लगते गांव जनाचौली-आलूका की निवर्तमान सरपंच श्रीमती गीता सौरोत की जिसमें समाजसेवा व विकास का अनौखा जनून है।
कहते हैं कि हिम्मत और जज्वा हो तो कोई कार्य मुश्किल नहीं होता। जी हां आमतौर पर घर के चौक-चूल्हों तक ही सीमित रहने वाली महिला सरपंचों के स्थान पर उनके परिजन ही काम करते देखे गए हैं लेकिन हरियाणा के पलवल जिले का एक ऐसा गांव भी है जिसकी शिक्षित महिला सरपंच ने न केवल गांव की छोटी सरकार को स्वयं चलाया बल्कि विकास कार्यों में भी स्वयं रूचि रखते हुए अपनी काबलियत के बल पर गांव का नक्शा ही बदल दिया है। कभी बुनियादी सुविधाओं से जूझने वाले बदहाल इस गांव में अब जाने पर ऐसा लगता है कि किसी विकासशील शहर में आ गए हों। घूंघट जैसी प्रथा पर करारी चोट करने के लिए मिशाल बनी योग में गोल्ड मैडलिस्ट व अंग्रेजी सहित तीन-तीन विषयों में ट्रिप्पल एमए-बीएड तक उच्च शिक्षित पलवल जिले के हथीन विधानसभा क्षेत्र में लगते गांव जनाचौली-आलूका की निवर्तमान सरपंच श्रीमती गीता सौरोत में समाजसेवा व विकास का अनौखा जनून है। पूरी तरह से गांव को समर्पित पढ़ी-लिखी बहू ने अपनी शैक्षणिक योगयता व कर्तव्यनिष्ठा के बल पर न केवल गांव को विकास के मामले में हरियाणा में अलग पहचान दी है बल्कि विकास, समरसता, भाईचारा, स्वच्छता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी परिकल्पनाओं के आधार पर इस गांव को नई पहचान देते हुए पलवल जिला ही नहीं बल्कि हरियाणाा में महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में बनकर उभरी हैं।
टीचर की नौकरी छोड अपनाया समाजसेवा का रास्ता
एक नामी ब्रांड के स्कूल में शिक्षक की नौकरी छोडकर सरपंच बनीं श्रीमती गीता सौरोत अब पूरी तरह से समाजसेवा के लिए ही समर्पित हैं और वह गांव के साथ-साथ जिले में गरीब, असहाय लोगों व महिलाओं की मददगार बनकर उभरी हैं और इस कार्य के लिए वह ज्यादातर खर्च का वहन अपने जेब से ही करतीं हैं। इसी का परिणाम है कि जिले में महिला सशक्तिकरण के लिए विख्यात हुई गीता सौरोत को आज यहां लडकियां व महिलाएं अपना रोल मॉडल मानते हुए अपने सपनों की महिला के रूप में देखतीं हैं। वह महिलाओं को न केवल उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करतीं हैं बल्कि प्रोढ़ शिक्षा व पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के साथ-साथ जिले में करो योग रहो निरोग का अभियान चलाकर लोगों में स्वास्थ्य का अलखभी जगा रही हैं। गांव में छोटी सरकार की मुखिया रहते हुए भी वह स्वयं कभी सरकारी स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाती दिखतीं हैं तो कभी बुजर्ग महिलाओं को ककहारा भी सिखातीं तो वहीं कभी गांव की गलियों में स्वयं झाडू लेकर सफाई अभियान चलातीं दिख जाएंगी, तो कभी गांव को खुले में शैच-मुक्त कराने के लिए सुबह-सवेरे व देर रात तक अन्य महिलाओं के साथ पहरेदारी करते हुए भी दिख सकती हैं। इसके अलावा योग के जरिए जहां वह पूरे जिले के लोगों को रोगमुक्त करने का अभियान चलाती हैं। वहीं गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का पूरा-पूरा ध्यान रखतीं हैं। टीकाकरण, प्लस पोलियो अभियान घर-घर जाकर चलाए जाते हैं तो वहीं महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता सूमह गठित किए हैं जिसके माध्यम से महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है।
एक अनाम-सा गांव आज क्योंकर है सुर्खियों में
निवर्तमान सरपंच श्रीमती गीता सौरोत ने गांव जनाचौली के लोगों को शिक्षित होने का सबसे पहला लाभ गांव के सरकारी स्कूल को एक मॉडल स्कूल स्थापित करके दिया है। अब इस स्कूल में कम्प्यूटर से लेकर एसुजेट के माध्यम से शिक्षा दी जाती है वहीं स्कूल में अनुशासन, कुर्सियां, बैंच, लैब, पुस्तकालय, रास्ते व हरियाली सभी देखने लायक है। इसके अलावा गांव की आंगनवाडी आज लोगों को अपनी भव्यता के लिए आकृषित करती है। वहीं महिलाओं व पुरूषों के लिए बनाए गए अलग-अलग वाचनालयों की सुंदरता भी देखने लायक हैं। इसके अलावा रंगीन इंटरलाकिंग ईंटों से बनी गलियां, पानी निकासी का उचिव प्रबंध, गांव मेे योग सैंटर, आठवीं तक का स्कूल, स्ट्रीट लाईट, पीने का पानी, पर्यावरण, जल संरक्षण, सफाई जहां स्मार्ट गांव की तस्वीर एक शहर के रूप मेें पेश कर महिला सरपंच की कार्यकुशलता को दर्शाते हुए सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की साफ तस्वीर दर्शाती हैं।
सरपंच के साथ साथ-साथ राजनीति में भी बनाई है अलग पहचान
श्रीमती गीता सौरोत ने जहां सरपंच रहते हुए अपने कार्यांे से प्रदेश स्तर पर अपनी कार्यकुशलता की अनूठी छाप छोडी है वहीं राजनीति में कदम रखते हुए एक तरह से महिलाओं व समाज में अपनी अलग ही स्वच्छ छवि बनाई है। पहले कार्यकाल में गीता सौरोत ने भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री के पद पर रहते हुए सही मायनों में महिलाओं की मजबूती के लिए कार्य करते हुए काफी संख्या में महिलाओं को पार्टी से जोडकर भाजपा को मजबूती प्रदान की। इसी का परिणाम है कि उन्हें पार्टी हाईकमान ने संगठन में तरक्की देते हुए अब उन्हें भाजपा की जनरल बॉडी में जिला मंत्री के पद पर मनोनीत किया गया है। इसके अलावा वह औरंगाबाद मंड़ल की प्रभारी भी हैं।
परिवर्तन की अग्रदूत बनीं जनाचौली की सरपंच गीता सौरोत
भारत सरकार में केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गिर्राज सिंह व हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने किया सम्मानित
पलवल जिले में भाजपा की जिला सचिव एवं जनचौली की निवर्तमान सरपंच श्रीमती गीता सौरोत को पिछले दिनों परिवर्तन के अग्रदूत नामक पुरूष्कार से भी सम्मानित किया गया है। ग्राम पंचायत में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उन्हें एक संस्था ने राज्य स्तर पर पलवल जिले के अग्रदूत के रूप में चुना गया है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर हरियाण के ग्रामीण आंचल को संजोए हुए एक किताब में उन्हें प्रमुखता से स्थान भी दिया गया है। उन्हें भारत सरकार में केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गिर्राज सिंह व हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने सम्मानित किया है।
महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री व केन्द्रीय मंत्री भी तीन बार कर चुके हैं राज्य स्तरीय अवार्ड से सम्मानित
मात्र 5 साल के सरपंच के कार्यकाल में ही विकास के मामले में बडे शहर का मुकाबला करने वाले इस जनाचौली गांव की सरपंच श्रीमती गीता सौरोत को हरियाणा के महामहिम राज्यपाल व केन्द्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री, हरियाणा केे मुख्यमंत्री व हरियाणा के पंचायत एवं विकास मंत्री रहे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धखड़ द्वारा अलग-अलग राज्य स्तरीय समारोहों में लगातार 2 बार हरियाणा स्तर पर 6 स्टार पंचायत सरपंच अवार्ड से सम्मानित किया गया है वहीं मुख्यमंत्री मनोहरलाल व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड द्वारा 2 बार महिला पंचायत शक्ति अवार्ड से नवाजा जा चुका है, जो पलवल जिले के लिए एक गौरव की बात है। पंचायती राज संस्था की मजबूती के लिए आयोजित राज्य स्तरीय गोष्ठी में भी मुख्यमंत्री मनोहरलाल सहित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष श्रीमती गीता सौरोत द्वारा दिए गये तर्कसंगत व्यक्त्व्य ने भी उन्हें अलग पहचान दी है जिसकी प्रसंसा मुख्यमंत्री ने भी सार्वजनिक रूप से की है।
क्या कहतीं है गांव की निवर्तमान सरपंच गीता सौरोत
6-स्टार से सम्मानित जनाचौली गांव की निवर्तमान सरपंच श्रीमती गीता सौरोत का कहना है कि आज की महिला किसी भी मायनों में पुरूष से पीछे नहीं है। बस महिला को अपने अंदर छुपी शक्ति व प्रतिभा को पहचानकर घूंघट से निकलना होगा। उन्होंने कहा कि अगर मजबूत इच्छाशक्ति व ईमानदारी से कार्य करने की ललक हो तो कोई कार्य मुश्किल नहीं है तथा हमें हर कार्य के लिए सरकार पर ही निर्भर रहने की इच्छा छोडनी होगी। उनका कहना है कि लोगों की मांग पर मैंने सरपंच का चुनाव लडते समय यह संकल्प लिया था कि अब पांच साल गांव का विकास करना है और गांव का नाम देश व प्रदेश स्तर पर ऊंचा करना है। इसी के चलते एक नामी ब्रांड के स्कूल में एक शिक्षक की नौकरी छोडकर मैने पूरी तरह से समाजसेवा को अपनाते हुए गांव को शहर की तर्ज पर विकसित करके दिखाया है कि सीमित संसाधनों के बल पर भी विकास हो सकता है। सरपंच बनने के बाद मैं पूरी तरह से गांव के विकास से जुडी हुई हूं तथा इस कार्य में मुझे मेरे परिवार व गांव के लोगों का भी भरपूर सहयोग मिला है। वहीं प्रशासन के सहयोग के लिए भी वह आभारी हैं। उन्होंने महिलाओं से आह्वान किया है कि वह स्वयं आगे निकलकर अपने बलबूते पर महिलाओं की अलग पहचान बनाएं ताकि आज लोग महिलाओं को अबला नहीं बल्कि सबला समझें।
















फोटो17- गांव जनाचौली का आंगनवाडी केन्द्र।


फोटो 20- गांव जनाचौली जिसका प्रवेश पर ही देता है शहरी लुक।


फोटो 23- गांव जनाचौली में बुजुर्ग महिलाओं को स्वयं पढातीं सरपंच श्रीमती गीता सौरोत।

फोटो 24- गांव जनाचौली का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहले व आज की तस्वीरें विकास की सच्ची गाथा बताती हुई।

फोटो25- गांव जनाचौली का सरकारी स्कूल पहले व आज की तस्वीरेंं जो विकास को दर्शातीं हैं।

फोटो 26- गांव जनाचौली का फिरनी का दृष्य पहले व आज की तस्वीरेंं जो विकास को दर्शातीं हैं।

फोटो 27- गांव जनाचौली के आंगनवाडी केन्द्र के पहले व आज के हालात तस्वीरों की जुबानी विकास की कहानी।

फोटो 28- गांव जनाचौली के सरकारी स्कूल में स्वयं पढ़ाती सरपंच गीता सौरोत। तस्वीरों की जुबानी स्कूल में सुधार की कहानी।