अंतर्राष्ट्रीय

हर वर्ग को मायूस करने वाला है केन्द्रीय बजट: राकेश तंवर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बजट को बताया दिशाहीन

देशपाल सौरोत की रिपोर्ट
पलवल,2 फरवरी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राकेश तंवर पृथला ने केन्द्रीय बजट को पूरी तरह से निराशाजनक बताते हुए कहा कि एकबार फिर से देश-प्रदेश की जनता को आंकडों के हेर-फेर में गुमराह करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह से थोथा चना-बाजे घना वाली कहावत को चरितार्थ करता दिख रहा है क्योंकि इस बजट में युवाओं, बेरोजगारों, व्यापारियों, किसानों और महिलाओं व गरीबों के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
किसान विरोधीहै बजट
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राकेश तंवर ने कहा कि किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते थे और ऐसा सरकार ने किसानों से वायदा भी किया था पर बजट में इसका भी कोई जिक्र तक नहीं किया गया। बजट में गरीब, किसान और आदिवासी वर्ग की उपेक्षा की गई है। बजट में मनरेगा का जिक्र तक नहीं किया गया। भाजपा सरकार जिन बैसाखी के सहारे चल रही है बजट में उसी पर ध्यान दिया गया।
मंहगाई व बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों को भी किया नजरअंदाज
राकेश तंवर ने कहा कि बजट में महंगाई और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों को भी नजर अंदाज कर दिया गया। हरियाणा को इस बार भी कोई बड़ा केंद्र प्रोजेक्ट नहीं मिला, जिससे राज्य की उम्मीदों को झटका लगा है। बजट में प्रदेश की अनदेखी से हरियाणा के राजनीतिक और औद्योगिक क्षेत्र में असंतोष साफ झलक रहा है। उन्होंने कहा कि बजट में पलवल-फरीदाबाद के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के विकास के लिए कोई योजना की भी घोषणा नहीं की गई है जिससे इस बजट में पूरी तरह से हरियाणा की अनदेखी की गई है।
बजट ने हर वर्ग को छला: राकेश तंवर
कांग्रेस नेता राकेश तंवर ने कहा कि बजट पूरी तरह से युवा, आम जन, छात्र, किसान विरोधी है तथा बजट जनविरोधी के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों को न्याय प्रदान करने में विफल रहा है। बजट में जहां नीतिगत सुधार की कोई बात नहीं है वहीं किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए भी कोई वास्तविक प्रयास नहीं किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि ऋण माफी जैसे मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया है। किसान अपनी आय में सुधार के लिए निर्णायक हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन इसके बजाय उन्हें अस्पष्ट वादों का एक और दौर मिला है। जिससे साबित हो गया है कि भाजपा सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है। वहीं महंगाई और बेरोजगरी पर रोक का कोई प्रावधान बजट में नहीं दिखा, तथा बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन कार्यक्रम की अनुपस्थिति जमीनी हकीकत से अलगाव को दर्शाती है। यहां तक की गरीबों की भी अनदेखी की गई है।

 

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